कंस वध एक बहुत ही लोकप्रिय विषय है। इस विषय के बारे में हर कोई जानना चाहता है। भगवान श्री कृष्ण की इस संपूर्ण लीला को सुनने के बाद सभी के मन में कुछ प्रश्न उठते हैं जैसे कंस ने देवकी को कारागार में क्यों डाला? क्या कंस एक साधारण भविष्यवाणी से भयभीत हो गया था? या कृष्ण ने किस उम्र में कंस का वध किया?
आपको चिंता करने की जरूरत नहीं है, हम आपको इस आर्टिकल में कंस वध के बारे में पूरी जानकारी देंगे।
Who is Kans? Pastlife of Kans – कंस कौन था?
एक प्रचलित कथा है जो श्रीमद्भागवत पुराण और विष्णु पुराण में वर्णित है, जिसमें कंस के जन्म का विवरण है। इस कथा के अनुसार, मथुरा के राजा उग्रसेन ने राजा सत्यकेतु की पुत्री पद्मावती से विवाह किया था। विवाह के कुछ समय बाद, पद्मावती अपनी माँ के घर चली गईं। उसी समय, यक्षराज कुबेर का दूत ध्रुमिला वहां पहुंचा और राजा सत्यकेतु से मिलने उनके दरबार में गया। वहां उसकी नजर पद्मावती पर पड़ी, जो अत्यंत सुंदर थीं। ध्रुमिला, जो एक पापी गंधर्व था, उसने राजा उग्रसेन का रूप धारण किया और पद्मावती के पास पहुंचा।
पद्मावती ने उसे उग्रसेन समझकर उसके साथ सहवास किया और गर्भवती हो गईं। सच्चाई जानने पर, पद्मावती ने अपने गर्भ को गिराने की कोशिश की, लेकिन तभी उग्रसेन वहां आ पहुंचे और उन्हें मथुरा ले गए। मथुरा में पद्मावती ने कंस को जन्म दिया, जो अपने पिछले जन्म में कालनेमि नामक असुर थे। इस प्रकार, कंस संसार की दृष्टि में भले ही उग्रसेन का पुत्र था, परंतु वास्तव में वह ध्रुमिला का पुत्र था।
कंस के आचरणभी उसके पिछले जन्म के अनुसार आसुरी थे। कंस तामसिक प्रकृति का एक उत्तम उदहारण है।
Oracle for Kans Vadh – कंस वध की आकाशवाणी
हर मातापिता की तरह राजा उग्रसेन और रानी पद्मवतीने अपनी पुत्री देवकी का विवाह करनेका निश्चय किया।
उन्होंने देवकी के लिए अपने पति के रूपमे यादवो में श्रेष्ठ श्री वसुदेव जी का चयन किया।
Who was Vasudev? – वसुदेवजी कौन थे?
रिषी कश्यप, भगवान ब्रह्मा के श्राप के कारण, भगवान कृष्ण के पिता वसुदेव के रूप में पुनर्जन्म लिया। एक बार, सभी प्राणियों की भलाई के लिए, उन्होंने अपने आश्रम में एक वैदिक अनुष्ठान (यज्ञ) किया, जिसके लिए दूध और घी जैसे आहुतियों की जरूरत थी। उन्होंने भगवान वरुण से मदद मांगी, जिन्होंने उन्हें असीमित आहुतियां देने वाली एक पवित्र गाय दी। कश्यप की लालच जगी, और उन्होंने यज्ञ समाप्त होने के बाद भी गाय को स्थायी रूप से अपने पास रखने की इच्छा की। भगवान वरुण ने फिर से प्रकट होकर कहा कि गाय यज्ञ के लिए अस्थायी उपहार थी और इसे स्वर्ग की गाय होने के नाते वापस करना होगा। कश्यप ने इनकार कर दिया, यह कहते हुए कि ब्राह्मण को दिए गए उपहार को कभी वापस नहीं मांगा जाना चाहिए, अन्यथा यह पाप है।
इसके परिणामस्वरूप, वरुण और कश्यप भगवान ब्रह्मा के सामने प्रकट हुए। वरुण ने ब्रह्मा से हस्तक्षेप करने और कश्यप को उनकी लालच से मुक्त करने का अनुरोध किया, जो उनके सभी गुणों को नष्ट कर सकती थी। ब्रह्मा के क्रोध और कश्यप को ग्वाले के रूप में पुनर्जन्म का श्राप देने के बावजूद, कश्यप ने पश्चाताप किया और क्षमा मांगी। ब्रह्मा ने अपने श्राप को जल्दबाजी में दिया हुआ मानते हुए, घोषणा की कि कश्यप ग्वाले के रूप में जन्म लेंगे और भगवान विष्णु उनके पुत्र के रूप में जन्म लेंगे। इस प्रकार, कश्यप वसुदेव के रूप में पुनर्जन्म लिया और भगवान कृष्ण के पिता बने।
जब विवाह के उपरांत कंस अपनी प्रिय बहन और वसुदेवजी को रथ में बिठाकर उन्हें अपने नगर में छोड़ ने जा रहे थे तब आधा रास्ता खत्म होते ही एक दिव्य आकाशवाणी हुई जो कुछ इस प्रकार थी :
“हे पापी कंस! तुम्हारा वध देवकी की आठवीं संतान करेगी।” और आकाश में भयानक गर्जनाओं के साथ ये आकाशवाणी हुई जो काफी भयानक और ह्रदय को बिठा देनेवाली थी।
ये घटना के होते ही कंस ने तुरंत अपनी तलवार निकाली और देवकी को ख़त्म करने के उदेश्य से अपना हाथ उपरकी ओर किया। तब निष्पापी वसुदेवजी ने उसे समझाया और उन्हें मारने की जगह पे अपनी हरेक संतान को कंस को सौपनेका वचन दिया।
एक एक करके कंस अपने भतिजोका वध करने लगा और फिर आठवीं संतान होते ही जो दिव्य लीला हुई थी वो सब तो आपको भलीभांति मालूम है।
Kans made several attempts to kill Krishna – कंस ने कृष्ण को मारने के लिए कई प्रयास किये
यहाँ गोकुल में उत्सव ही उत्सव मनाये जा रहे थे। क्यूंकि नंदबाबा के यहाँ कितनी मिन्नतों के बाद लाला का जन्म हुआ था। सब लोग बड़े ही उत्सव आनंद में थे।
तब कंस अपनी मृत्यु से घबराते हुए देवकी के आठवे पुत्र को खोज के मारने के इरादे से कई भयानक असुरो को कृष्ण को खोजने और मारने के लिए भेज रहा था।
कंस ने बारी बारी से पूतना, तृणावर्त, अघासुर, बकासुर, वत्सासुर, केशी, अरिष्ठासुर, और व्योमासुर जैसे राक्षसो को भेजने लगा।
कृष्ण ने हरेक को अपनी दिव्यता दिखाते हुए मोत के घात उतारा था।
कंस अब अपने वध होने की सम्भावना से काफी डरा हुआ था।
Kans Vadh – कंस वध
अब कृष्ण देखते ही देखते ११ वर्ष के हो चुके थे। कंस ने मन ही मन ठान लिया की अब कृष्ण का अंत करना ही है।
उसने वृन्दावन में अक्रूर जी को भेजा और कृष्ण और बलराम को लाने का आदेश दिया। अक्रूरजी वृन्दावन जाते है और कृष्ण और बलराम को मथुरा लेकर आते है।
मथुरा में भी पुरुषोत्तम भगवान् श्री कृष्ण ने अपने भक्तो का उद्धार किया। पहले तो कुब्जा उद्धार की लीला की फिर बाद में कंस द्वारा भेजे गए एक पागल हाथी कुवल्यपीड़ जिसको कृष्ण और बलराम को मारने के उद्देश्य से भेजा था उसे भी मार गिराया। भगवान् कृष्ण ने फिर शिव धनुष्य भी तोड़ दिया था।
दूसरे दिन कंस ने कृष्ण और बलराम को अखाड़े में बुलाकर अपने कुशल मल्लो द्वारा कृष्ण को मारने का प्रयास किया। परन्तु उसकी यह चालाकी भी कुछ काम नहीं की। तब वो स्वयं अखाडेमे उतरा और कृष्ण से मल्ल युद्ध करने लगा। भगवान् श्री कृष्ण ने अपनी एक मुस्टि के प्रहार से कंस के प्राण छीन लिए।
कंस मर्दन भगवान् की जय
कंस को जय विजय की लीला से भी सम्बंधित मन जाता है।
इस प्रकार श्री कृष्ण ने कंस वध लीला की और कंस को परमगति प्राप्त करवाई।
Conclusion
तो हमने आपको कंस वध लीला विस्तार पूर्वक कही और आशा करते है की आपको हमारा यह छोटा सा प्रयास पसंद आया होगा। हमने ऐसे कई प्रकार के कृष्ण सम्बन्धी लेख जैसे की भगवान् कृष्ण की दामोदर लीला, राधाकृष्ण विवाह और भगवान् श्री कृष्ण की वैकुण्ठ गमन लीला इत्यादि हमने आपकी इस वेबसाइट Vrindavanrasamrit.in पर आपकी सेवा के लिए उपलब्ध किये है।
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FAQs
Que. At what age krishna killed kansa?
Ans. At the age of 11 Years krishna killed kansa.
References
- Soni, Lok Nath (2000). The Cattle and the Stick: An Ethnographic Profile of the Raut of Chhattisgarh (अंग्रेज़ी में). Anthropological Survey of India, Government of India, Ministry of Tourism and Culture, Department of Culture. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-81-85579-57-3.
The story goes that Krishna was a prince of royal blood, the son of Vasudeva. He lived with Nanda, who was also a king and Kshatriya by caste. Vasudeva and Nanda were brothers When Vasudeva knew that Nanda has come to Mathura to pay the taxes of King Kansa, he went to his brother Nanda. The point that the Abhira are Kshatriyas and specifically Yaduvansi. In Harivamsa Purana, it has been said that Gopas and Yadav are generic of same lineage and they are called Gope or Yadav.
- ↑ Taṇḍana, Pallavī (2005). Harivaṃśa-Purāṇa meṃ vaṃśa aura manvantara. Klāsikala Pabliśiṅga Kampanī. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-81-7054-372-5.
वरूण के ऐसा कहने पर मेरे श्राप से पृथ्वी पर महर्षि कश्यप एक अंश से गोप तथा दूसरे अंश से गौओं व गोपों के अधिपति ‘वसुदेव’ नामक ग्वाले के रूप में मथुरा में जन्म ग्रहण कर गायों का पालन कर रहे हैं।
- ↑ Debroy, Bibek (2016-09-09). Harivamsha (अंग्रेज़ी में). Penguin UK. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-93-86057-91-4.
- ↑ Preciado-Solis, Benjamin; Preciado-Solís, Benjamín (1984). The Kṛṣṇa Cycle in the Purāṇas: Themes and Motifs in a Heroic Saga (अंग्रेज़ी में). Motilal Banarsidass Publishe. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-0-89581-226-1.
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- “इतिहास कहता है कि कंस देवकी का सगा भाई नहीं था…” वन इंडिया. 7 अगत्स 2017. अभिगमन तिथि 3 जून 2018.
|date=
में तिथि प्राचल का मान जाँचें (मदद) - ↑ ‘शतायु’, अनिरुद्ध जोशी. “कौन थे कृष्ण के पांच बड़े शत्रु, जानिए”. वेबदुनिया (अंग्रेज़ी में). मूल से 26 जून 2018 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 3 जून 2018.
- ↑ “कार्तिक शुक्ल दशमी को हुआ था कंस का वध, जानिए इससे जुड़ी कुछ रोचक बातें”. Jansatta. 2019-11-07. अभिगमन तिथि 2021-08-01.
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